मोक्ष प्राप्ति के साधन- शुध्द ज्ञान, शुद्ध कर्म व शुद्ध उपासना
मोक्ष प्राप्ति के साधन- शुध्द ज्ञान, शुद्ध कर्म व शुद्ध उपासना- ..शुध्द ज्ञान:- मोक्ष प्राप्ति १.ईश्वर सच्चिदानन्दस्वरूप, निराकार,सर्वशक्तिमान, न्यायकारी, दयालु,…
मोक्ष प्राप्ति के साधन- शुध्द ज्ञान, शुद्ध कर्म व शुद्ध उपासना-
..शुध्द ज्ञान:- मोक्ष प्राप्ति
१.ईश्वर सच्चिदानन्दस्वरूप, निराकार,सर्वशक्तिमान, न्यायकारी, दयालु, अजन्मा, अनन्त,निर्विकार, अनादि, अनुपम और सर्वाधार है उसी की उपासना करनी चाहिए।
२.आत्माएं अजर,अमर,अल्पज्ञ,अल्पशक्तिमान और शुभ अशुभ मिश्रित व निष्काम कर्मों के आधार पर जन्म मरण के बन्धन में आने वाली हैं। परान्तकाल तक मोक्ष भी प्राप्त कर सकती हैं।
३. प्रकृति जड है ,सत्व रज तम तीन प्रकार के गुणों वाली है और सृष्टि उत्पत्ति में उपादान कारण है। प्रकृति भी अात्मा व परमात्मा की तरह अनादि है सूक्ष्म है । ईश्वर साध्य है, आत्माएं साधक हैं, प्रकृति साधन है । तीनों का व्याप्य व्यापक सम्बन्ध है।
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शुध्द कर्म:- मोक्ष प्राप्ति
फल की इच्छा छोड़ कर पूरी निष्ठा से अपने अपने कर्तव्य कर्म को करना। कोई कार्य ईश्वर की, वेद की व अन्तरात्मा की आज्ञा के विरुद्ध न करना |
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शुध्द उपासना:-
अहिंसा, सत्य, अस्तेय आदि यम नियमों का सूक्ष्मता से पालन करते हुए योग के आठ अंगों का निरन्तर, श्रध्दापूर्वक व पूर्ण उत्साह से अभ्यास करना। पाषाण पूजा,पशुबलि व अवतारवाद आदि के चक्करों में न पडना । ईश्वर सर्वशक्तिमान का यह अर्थ नहीं कि ईश्वर कुछ भी कर सकता है| क्या वह वह झूठ बोल सकता है ? क्या वह अन्याय कर सकता है ? क्या वह स्वयं को मार कर अपने जैसा दूसरा परमात्मा बना सकता है ? सर्वशक्तिमान का वास्तविक अर्थ है कि वह ईश्वर सृष्टि उत्पति प्रलय करने, कर्म फल प्रदान करने व वेदों का ज्ञान देने में पूरी तरह सक्षम है । इसके लिये उसे किसी सहायता व अवतार लेने की आवश्यकता नहीं |
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विद्यां चाविद्यां च यस्तद्वेदोभयँ्सह ।
अविद्यया मृत्युं तीर्त्वा विद्ययामृतमश्नुते
यजुर्वेद 40.14,
विद्या अर्थात् शुद्ध ज्ञान व शुद्ध कर्म, अविद्या अर्थात् शुद्ध उपासना से ही मृत्यु आदि दु:खों से से छूट कर मोक्ष को प्राप्त किया जा सकता है ।
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